शिमला, 21 अगस्त 2025: हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में बड़ा खुलासा हुआ है। सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्य में ‘Children of State’ नाम से कोई योजना नहीं चल रही है। विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने बताया कि वास्तव में प्रदेश में सुख आश्रय योजना लागू है, जिसके तहत पिछले तीन वर्षों में सरकार ने 41 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की है और हजारों बच्चों को इसका लाभ मिला है।
हिमाचल प्रदेश में यह योजना फरवरी 2023 से लागू है और इसका उद्देश्य निराश्रित बच्चों को शिक्षा, आवास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और आर्थिक सहयोग देना है। इसमें पात्र बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक कई तरह की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह योजना राज्य के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कवच है और आने वाले वर्षों में और अधिक बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद करेगी। यही कारण है कि इसे अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल स्कीम के रूप में देखा जा सकता है।
हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र 2025 में हुआ खुलासा
मानसून सत्र में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र में यह मुद्दा पहली बार उठाया गया। बीजेपी विधायक लोकेंद्र कुमार ने पूछा था कि “चिल्ड्रन ऑफ स्टेट” नामक योजना से बच्चों को क्या-क्या सुविधाएँ दी जा रही हैं और उस पर कितना खर्च हुआ है। जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि इस नाम से कोई स्कीम अस्तित्व में नहीं है।
हालाँकि, सरकार ने यह भी जोड़ा कि वर्ष 2023 से लागू मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना (CM Sukh Ashray Yojana) के तहत हजारों बच्चों को शिक्षा, आवास, त्योहार भत्ता और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं।
सुख आश्रय योजना में खर्च हुए 41 करोड़ से अधिक (Sukh Ashray Yojana Himachal)

स्वास्थ्य मंत्री ने विधानसभा को जानकारी दी कि फरवरी 2023 से अब तक राज्य सरकार ने योजना पर 41 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3730 बच्चों को लाभ मिला और 7.85 करोड़ रुपये खर्च हुए।
2024-25 में 4409 बच्चों को योजना का फायदा मिला और 16.25 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
2025-26 (जुलाई तक) में 4112 बच्चों को 17.33 करोड़ रुपये की मदद मिली।
इससे साफ है कि तीन साल में सरकार ने लगातार इस योजना को मज़बूत किया है। इस स्कीम के तहत बच्चों को उच्च शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, मकान बनाने के लिए ज़मीन और आर्थिक सहयोग, बाहर शैक्षिक भ्रमण और त्योहार भत्ता भी दिया जाता है।
हिमाचल में “Children of State” पर फैली भ्रांति (Children of State Himachal Clarification)
कई बार सोशल मीडिया और स्थानीय चर्चाओं में “CHILDREN OF STATE” नाम से योजना की चर्चा होती रही है। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसी कोई स्कीम हिमाचल में मौजूद नहीं है। यह भ्रम संभवतः इसलिए फैला क्योंकि सुख आश्रय योजना को अक्सर गलत नाम से प्रचारित कर दिया गया। सरकार का कहना है कि भविष्य में किसी भी योजना का आधिकारिक नाम सही तरीके से प्रचारित किया जाएगा, ताकि जनता भ्रमित न हो।
निराश्रित बच्चों के लिए भविष्य की राह
हिमाचल मानसून सत्र 2025 में सरकार ने कहा कि आने वाले वर्षों में निराश्रित बच्चों की शिक्षा और जीवन स्तर को और बेहतर बनाने पर फोकस रहेगा। सरकार चाहती है कि ऐसे बच्चों को 27 साल की उम्र तक पूरी तरह सामाजिक और आर्थिक सहयोग मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। वर्तमान में योजना के अंतर्गत उच्च शिक्षा में स्कॉलरशिप, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आर्थिक मदद, और मकान बनाने के लिए जमीन तक की सुविधा दी जा रही है। हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्य में यह योजना एक मिसाल है और इसे देश के अन्य राज्यों में भी मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।
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