Deepavali Vastu Tips: वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपावली पूजन की सही दिशा, विधि और नियमों से मां लक्ष्मी का स्वागत कैसे करें। इस लेख में पढ़ें घर की सफाई, मुख्य द्वार की सजावट, दीपक की व्यवस्था और पूजन के बाद के विशेष उपाय जो समृद्धि और धन वृद्धि लाते हैं। दीपावली पर अपनाएं ये आसान वास्तु टिप्स और बनाएं अपने घर को लक्ष्मी निवास।
दीपावली सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक और पर्यावरणीय शुद्धि का प्रतीक भी है। इस शुभ दिन पर यदि पूजा-विधि वास्तु के अनुसार की जाए, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा, धन और समृद्धि का संचार होता है। आइए जानते हैं Deepavali Vastu Tips जो आपकी दीपावली को और भी मंगलमय बना सकते हैं।

Deepavali Vastu Tips जानकारी तालिका (Information Table)
| विषय | वास्तु अनुसार उपाय | लाभ |
| पूजन स्थल | उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा सबसे शुभ | देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है |
| मुख दिशा | पूजन करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें | सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है |
| घर की सफाई | नींबू, नमक या गौमूत्र मिले जल से पोछा लगाएं | नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है |
| मुख्य द्वार सजावट | आम या अशोक पत्तों का तोरण, रंगोली और स्वस्तिक | लक्ष्मी प्रवेश का संकेत |
| दीप जलाना | हर कमरे, तिजोरी, रसोई और तुलसी के पास दीपक जलाएं | ऊर्जा संतुलन और समृद्धि |
| आसन का रंग | लाल या पीला आसन उपयोग करें | पूजा का फल कई गुना बढ़ता है |
| पूजा के बाद उपाय | हल्दी, चावल और चांदी का सिक्का तिजोरी में रखें | धन वृद्धि और स्थायी लक्ष्मी वास |
पूजन स्थल और दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा को सबसे पवित्र माना गया है। इसे देवताओं का स्थान कहा गया है। यदि यह दिशा उपलब्ध नहीं है, तो पूजा कक्ष या ड्रॉइंग रूम के उत्तर-पूर्व भाग में पूजा करें। पूजन करते समय मुख पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है और लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है।
घर की सफाई और शुद्धि से बढ़ाएं शुभता
दीपावली से पहले घर की पूर्ण सफाई करें। यह केवल स्वच्छता नहीं, बल्कि ऊर्जा का नवीनीकरण है। नींबू, नमक या गौमूत्र मिलाकर फर्श साफ करें — यह नकारात्मकता को दूर करता है। मुख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं और मंगल कलश स्थापित करें। घर के हर कोने में दीप जलाना न भूलें, विशेष रूप से मुख्य द्वार, रसोई और तिजोरी के पास।
मुख्य द्वार और लक्ष्मी प्रवेश
मुख्य द्वार घर की ऊर्जा का प्रवेश द्वार होता है। दीपावली की रात इसे सजाना अत्यंत शुभ है। रंगोली, स्वस्तिक, ॐ और लक्ष्मी के चरणचिह्न बनाएं। ध्यान रखें — चरणचिह्न घर के अंदर की ओर बनें। यह दर्शाता है कि मां लक्ष्मी घर में प्रवेश कर रही हैं। द्वार पर रखा दीपक पूरी रात जलता रहना चाहिए, यह निरंतर समृद्धि का प्रतीक है।
पूजन विधि और दीप सज्जा
पूजन करते समय लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाएं। लकड़ी या धातु का आसन नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे ऊर्जा प्रवाह रुकता है। पूजन स्थल पर पांच दीप जलाएं —
एक मां लक्ष्मी के दाईं ओर, दूसरा गणेश जी के सामने, तीसरा धन स्थान पर, चौथा रसोई में और पांचवां तुलसी के पास। ये पांच दीप पंचमहाभूतों का प्रतीक हैं और घर में सात्त्विक ऊर्जा भरते हैं।
पूजन के बाद के शुभ उपाय
लक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी या धन स्थान में लाल कपड़े में हल्दी, चावल और चांदी का सिक्का रखें। पूजा में प्रयुक्त कमल या कमलगट्टे को जल में प्रवाहित करने के बजाय तिजोरी में रखें। यह धनवृद्धि का प्रतीक है। पूजा के बाद रसोई और मुख्य द्वार पर दीपक पुनः जलाएं ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

दीपावली से जीवन में जगाएं नई रोशनी
दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है। यदि इस दिन Deepavali Vastu Tips के अनुसार पूजन किया जाए, तो घर में न केवल मां लक्ष्मी का स्थायी वास होता है, बल्कि सुख, शांति और समृद्धि का वातावरण भी बनता है।
इस दीपावली अपने घर को स्वच्छ, उज्जवल और ऊर्जा से परिपूर्ण बनाएं — क्योंकि जहां प्रकाश और पवित्रता होती है, वहीं मां लक्ष्मी का निवास होता है।
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