Navratri 2025 Navami: नवरात्रि का अंतिम दिन यानी नवमी तिथि माँ दुर्गा के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। वर्ष 2025 में यह दिन 1 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। माँ सिद्धिदात्री को सिद्धियों की देवी कहा जाता है। जो अपने भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सफलता प्रदान करती हैं। इस दिन की पूजा विशेष महत्व रखती है क्योंकि इसे नवरात्रि का समापन और शक्ति साधना का चरम माना जाता है।
माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत शांत और दिव्य है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर सवार रहती हैं। उनके चार हाथ हैं। जिनमें शंख, चक्र, गदा और वरमुद्रा होती है। माँ का यह स्वरूप भक्तों को निर्भयता, आत्मविश्वास और सफलता प्रदान करता है।
पूजा विधि और परंपरा
1 अक्टूबर को सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ। उन्हें फल, मिठाई, नारियल और शुद्ध जल अर्पित करें। इस दिन विशेष रूप से कन्या पूजन (कन्याओं को भोजन कराना और उपहार देना) का भी महत्व है। भक्त पीले या हल्के रंग के कपड़े पहनकर पूजा करते हैं।
नवमी का महत्व
नवमी की पूजा करने से सभी प्रकार की बाधाएँ, भय और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। माँ सिद्धिदात्री की आराधना साधक को सिद्धियाँ और आत्मबल प्रदान करती है। यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है और पूरे नवरात्रि उत्सव का सबसे विशेष दिन होता है।